राजनीतिक दर्शन को लॉक की देन | राजनीतिक दर्शन की विशेषताएं

राजनीतिक दर्शन को लॉक की देन

जॉन लॉक सामाजिक समझौते के द्वारा राज्य की उत्पत्ति में विश्वास कर वाला राजनीतिक विचारक था। उससे पूर्व हांब्स ने भी ऐसे ही विचार प्रकट किए थे, परंतु दोनों का सिद्धांत अलग-अलग रास्तों से सामाजिक समझौते द्वारा पहुंचाकर राज्य की स्थापना करता था। दोनों राज्य की स्थापना से पूर्व की प्राकृतिक अवस्था के विषय में अलग-अलग मत व्यक्त करते हैं। 

जॉन लॉक हॉब्स के पश्चात एक ऐसा सामाजिक समझौतावादी विचारक था, जो बहुत अधिक मौलिक ना होते हुए भी कई आधुनिक राजनीतिक विचारकों की नींव रख गया। श्री राज नारायण गुप्त तथा राधानाथ चतुर्वेदी के अनुसार जॉन लोगों ने जिन राजनीतिक विचारधाराओं की नींव रखी, वे कुछ इस प्रकार थे— व्यक्तिवाद तथा प्रजातंत्रवाद। 

जॉन लॉक की राजनीतिक दर्शन की विशेषताएं

(1) उपयोगितावाद का समर्थन 

उसने बतलाया कि मनुष्य सारे काम दुःख से बचने के लिए और सुख प्राप्त करने के लिए करता है। वह नैतिक आचरण के सिद्धांतों को अपने जीवन में डालने का प्रयत्न इसीलिए करता था। जिससे वह आनंद प्राप्त कर सके। सभी वीडियो के विधेयक का भी यही उद्देश्य होता है। उनके इन्हीं विचारों से बेंथम ने प्रेरणा ग्रहण की थी।

(2) व्यक्तिवादी विचारक 

इसी प्रकार उसने सीमित राजतंत्र और राज्य के सीमित कर्तव्यों पर बल देकर एक ऐसी व्यक्ति वादी विचारधारा को आगे बढ़ाया जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपना विकास भली भांति कर सकता है।

(3) प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन 

जॉन लॉक वह प्रथम विचारक है जो व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन करता है। उसने जीवन एवं स्वतंत्रता तथा संपत्ति के अधिकारों को प्राकृतिक माना है। आज भी इन अधिकारों का बहुत महत्व है। वर्तमान समय की मौलिक अधिकार की धारणा अप्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक अधिकार के इस सिद्धांत पर ही आधारित है।

(4) प्रजातंत्रवाद का प्रतिपादक 

जॉन लोग अपने सामने एक लक्ष्य रख कर आगे चला था और वह कि वह 1688 की राज्य क्रांति का औचित्य सिद्ध करें और उसने बतलाया कि राजा को बिना संसद की अनुमति प्राप्त किया नहीं कर लगाने और नई विधियां बनाने का कोई अधिकार नहीं है। इस प्रकार उसने प्रजा के प्रति उत्तरदाई शासन तंत्र की स्थापना के सिद्धांत को मान्यता दिलाई जो आगे चलकर प्रजातंत्र वादी विचारधारा के रूप में पुष्पित हुआ।

(5) शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत 

यद्यपि जॉन लोग अपनी शक्ति पृथक्करण सिद्धांत की विधिवती विवेचना नहीं की है किंतु यह सत्य है कि जॉन लोग ने ही सर्वप्रथम इस बात का प्रतिपादन किया कि व्यक्ति स्वतंत्रता की साधन के रूप में शक्ति पृथक्करण को अपनाया जाना चाहिए। इसी आधार पर मान्टेस्क्यू ने शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपादन किया है।

निष्कर्ष 

यह सत्य है कि जॉन लोग की सामाजिक अनुबंध के सिद्धांत आधुनिक युग में नहीं माने जाते हैं लेकिन जिन बातों की चर्चा हम ऊपर कर आए हैं वह आज भी मानी जाती हैं। जॉन लॉक के विचारों का रुसों ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ा और रूसों के सिद्धांतों की पृष्ठभूमि में ही फ्रांस की राज्य क्रांति हुई। मान्टेस्क्यू न्यूज़ वालों के आधार पर ही शक्ति विभाजन के सिद्धांत का विकास किया। जॉन लॉक के विचार इंग्लैंड और फ्रांस तथा यूरोप तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अमेरिका तक पहुंचे और अमेरिका के राज्यों के कई संविधान उन सिद्धांतों के अनुसार, अपनी उत्पत्ति सिद्ध करने वाले राजतंत्र का अन्याय पूर्वक शासन करने का अधिकार सदैव के लिए छिन गया। जॉन लॉक की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण लॉस्की की के शब्दों में यह था कि, “जॉन लॉक के प्रश्न स्थूल के रूप में आज भी हमारे प्रश्न बने हुए हैं और हमें व्यापक रूप से उसके सिद्धांतों से उन प्रश्नों का उत्तर पाने में सहायता मिलती है।” 

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