पंचवर्षीय योजना किसे कहते हैं? ग्रामीण जीवन पर प्रभाव

पंचवर्षीय योजना

पंचवर्षीय योजना किसे कहते हैं? पंचवर्षीय योजना एक प्रकार की नीति है जो हर 5 वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है। पंचवर्षीय योजनाएं केंद्रीकृत और एकीकृत राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम होती हैं, जिनका उद्देश्य देश के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है। 

पंचवर्षीय योजना का ग्रामीण जीवन पर प्रभाव

स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय सरकार ने भारत में आर्थिक नियोजन की पद्धति को अपनाया। इन योजनाओं का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण जीवन के स्तर को ऊंचा उठाना है। अनेक योजनाओं में कृषि क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं —

(1) प्रथम पंचवर्षीय योजना 

प्रथम पंचवर्षीय योजना कृषि प्रधान योजना थी। इस योजना में कृषि तथा सामुदायिक विकास के लिए 291 करोड रुपए निर्धारित किए गए थे। अतः इस योजना में लगभग 3/4 धनराशि कृषि, सिंचाई, शक्ति तथा यातायात के साधनों के लिए निर्धारित की गई।

(2) दूसरी पंचवर्षीय योजना 

द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया गया। कृषि तथा सामुदायिक विकास की योजनाओं की पूर्ति के लिए 549 करोड रुपए निर्धारित किए गए थे।

(3) तृतीय पंचवर्षीय योजना 

दूसरी पंचवर्षीय योजना के प्रारंभिक वर्षों में देश को गंभीर खाद्य समस्या तथा मुद्रा की कमी का सामना करना पड़ा था अतः तृतीय योजना में पुनः कृषिगत क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान की गई। कृषि तथा सामुदायिक विकास के लिए 1089 करोड रुपए स्वीकृत किए गए। परंतु इस योजना में वांछित सफलता प्राप्त न हो सकी।

(4) चतुर्थ पंचवर्षीय योजना 

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में अभी कुल व्यय का 42% कृषि सिंचाई तथा बिजली पर व्यय अथवा खर्च किया गया। जिससे कृषि की प्राथमिकता बनी रही है।

(5) पांचवी पंचवर्षीय योजना 

पांचवी पंचवर्षीय योजना में भूमिहीन श्रमिकों को भूमि प्रदान करना, पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था करना तथा गांव में ग्रामीण विद्युतीकरण करना आदि कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया गया।

(6) छठवीं पंचवर्षीय योजना 

छठवीं पंचवर्षीय योजना के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में समन्वित विकास कार्यक्रम चलाया गया। रोजगार के अवसर बढ़कर बेरोजगारी दूर करने के लिए श्रम प्रधान क्षेत्रों जैसे — कृषि, लघु तथा ग्रामीण उद्योग और इनसे जुड़े हुए कार्यक्रमों को बढ़ाया गया है। रोजगार के अवसर पढ़ने से गरीबों की आय बढ़ेगी तथा जीवन स्तर में सुधार होगा।

(7) सातवीं पंचवर्षीय योजना 

सातवीं पंचवर्षीय योजना में जनता के जीवन स्तर में वृद्धि करना तथा आत्मनिर्भरता तथा स्वयं स्फूर्ति विकास का लक्ष्य प्राप्त करना आदि पर विशेष बल दिया गया। गरीबी तथा क्षेत्रीय असमानता को दूर करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया। कृषि क्षेत्र की वार्षिक विकास दर 4% निर्धारित की गई।

(8) आठवीं पंचवर्षीय योजना 

आठवीं पंचवर्षीय योजना में भी कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया था। खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता एवं निर्यात योग्य बचत प्राप्त करने हेतु कृषि का विकास एवं विस्तार करने की आवश्यकता को महसूस किया गया था।

(9) नवीं पंचवर्षीय योजना 

नवी पंचवर्षीय योजना का प्रमुख उद्देश्य न्याय पूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास करना था। इस योजना में गुणवत्तायुक्त जीवन, रोजगार, संवर्धन, क्षेत्रीय संतुलन तथा आत्मनिर्भरता जैसे मुद्दों को सम्मिलित किया गया था।

(10) 10वीं पंचवर्षीय योजना 

दसवीं पंचवर्षीय योजना, जो 2002 से 2007 तक अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में थी, का मुख्य उद्देश्य था कि अगले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति की आय को दोगुना किया जाए। इसके साथ ही 2012 तक गरीबी अनुपात को 15% तक कम किया जाए। इस योजना का विकास का लक्ष्य 8.0% था, लेकिन इसने केवल 7.6% ही हासिल किया।

(11) 11वीं पंचवर्षीय योजना 

11वीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य 7 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करना था। इसके साथ ही योजना में 5% से कम शिक्षित बेरोजगारी को कम करने का लक्ष्य था। ग्यारहवीं योजना के दौरान अधिकांश रोजगार प्रदान करने के लिए ग्राम और लघु उद्योग (VSE) और NREGS जैसे मजदूरी रोजगार कार्यक्रमों पर ध्यान दिया गया।

(12) 12वीं पंचवर्षीय योजना 

12वीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक दशाओं में सुधार लाना और उनके जीवन स्तर को उन्नत करना था। इसके साथ ही उसका लक्ष्य अभिज्ञात अल्पसंख्यक बहुल जिलों में असंतुलन को कम करना भी था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाती थी ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

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