पर्यावरण - अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, महत्व, स्वरूप - environment

पर्यावरण (environment)

पर्यावरण का अर्थ(meaning of environment )

'पर्यावरण'शब्द का निर्माण दो शब्दों परि+आवरण से हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ है—बाहरी आवरण, अर्थात हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक है वही वास्तविक अर्थों में 'पर्यावरण' कहलाता है।

   अंग्रेजी भाषा में पर्यावरण को Environment कहते हैं। Environment शब्द दो अंग्रेजी शब्दों Environment +ment से मिलकर बना है। यहॉ Environ का अर्थ to Encircle अर्थात गिरना है तथा ment का अर्थ form all sides अर्थात चारों ओर से घेरना है। अतएव पर्यावरण अथवा Environment दोनों ही शब्दों का शाब्दिक अर्थ चारों ओर से घेरने से है, अतः पर्यावरण बाह्य आवरण का घोतक है।

पर्यावरण - परिभाषा, विशेषताएँ, महत्व, स्वरूप - letest education

पर्यावरण की परिभाषाएं(definition of environment )

पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषा : पर्यावरण के अर्थ को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं उल्लेखनीय है—

(1) विश्वकोश के अनुसार:"पर्यावरण के अंतर्गत उन सभी दिशाओं, संगठन एवं प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है,जो किसी जीव अथवा प्रजाति के उद्भव, विकास एवं मृत्यु को प्रभावित करती हैं।"

(2) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका के अनुसार:"पर्यावरण उन सभी बाह्य प्रभावों का समूह है, जो जीवो को प्राकृतिक ओर, भौतिक एवं जैविक शक्ति से प्रभावित करते रहते हैं तथा प्रत्येक जीवों को आवितत्त किए रहते हैं।"

(3) वुडवर्थ के अनुसार:"पर्यावरण शब्द का अभिप्राय उन सब बाहरी शक्तियों एवं तत्वों से है, जो व्यक्ति को आजीवन प्रभावित करते हैं।"

(4) शैक्षिक अनुसंधान विश्वकोश के अनुसार:"किसी के लिए यह निश्चय करना ठीक नहीं है कि पर्यावरणीय अध्ययन, भूगोल तथा नागरिक शास्त्र का योग मात्र है। निश्चय ही यह इन विषयों से पर्याप्त सामग्री प्राप्त करता है किंतु यह khusi सामग्री को ग्रहण करता है जो मानव के वर्तमान तथा दैनिक जीवन के संबंधों को स्पष्ट करती हैं।"

     सभी परीभाषाओं से स्पष्ट है कि पर्यावरण का सामान्य अभिप्राय उस वातावरण से है जो हमारे चारों ओर फैला हुआ है। प्रकृति में जो कुछ भी हमें परिलक्षित होता है—जल, पहाड़, वायु, मृदा, पादप, प्राणी, भौतिक प्रभाव जैसे—नदी, तालाबों, वायुदाब, वर्षा तथा जैवी प्रभाव आदि सम्मिलित रूप में पर्यावरण की रचना करने वाले अवयव है। यदि पर्यावरण ना होता तो पृथ्वी की स्थिति भी बुध, शुक्र या अन्य ग्रहों जैसी होती। क्योंकि वायुमंडल ना होने के कारण jann निर्माण नहीं हो पाता तथा जल के निर्माण के अभाव में जीत का निर्माण भी नहीं हो सकता।वायुमंडल पृथ्वी के ताप को नियंत्रित करके जी जगत के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।

      अर्थात पर्यावरण किसी एक तत्व का नाम ना होकर उन समस्त दशाओं या तत्वों का योग है जो कि सजीवों के जीवन और विकास को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।

र्यावरण का स्वरूप(nature of environment)

पर्यावरण का स्वरूप : पर्यावरण में भौतिक तथा नैतिक तत्व होते हैं जिन्हें तथा जैविक घटक भी कहते हैं।इस प्रकार पर्यावरण का विभाजन घटकों में किया जाता है वही उसका स्वरूप भी होता है‌—

(1) भौतिक अथवा अजैविक पर्यावरण

(2) जीव अथवा जैविक पर्यावरण।

   भौतिक तत्वों की विशेषताओं के आधार पर इन्हें 3 वर्गों में विभाजित किया जाता है—(१) ठोस पदार्थ (२)तरल पदार्थ तथा (३)गैस पदार्थ। ठोस पदार्थो में पृथ्वी तथा भूमि को सम्मिलित करते हैं, तरल पदार्थों मे जल को तथा गैस पदार्थों के लिए वायु तथा वायुमंडल को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार भौतिक पर्यावरण को तीन वर्गों  भूमंडल, वायु मंडल तथा जल मंडल में विभाजित किया जाता है। इन्हें उपवर्गों मैं भी विभाजित किया गया।

         जैविक तत्वों के पर्यावरण में पौधों तथा जानवरों वह मनुष्य को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार जैविक पर्यावरण को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है—पौधों का वातावरण तथा जानवरों व जीवो का वातावरण। सभी जीव एक सामाजिक समूह में कार्यरत हैं तथा अपने कार्य हेतु पदार्थों को भौतिक पर्यावरण से लेते है।यह प्रक्रिया आर्थिक पर्यावरण उत्पन्न करती है।मानव अधिक सभ्य तथा कुशल प्राणी है।इसकी सामाजिक व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित है। मनुष्य के तीन महत्वपूर्ण पक्ष होते हैं—भौतिक , सामाजिक तथा आर्थिक। इनकी विशेषताएं एक दूसरे से भिन्न होती हैं।

         इस प्रकार मनुष्य तथा पर्यावरण के मध्य अंतः प्रक्रिया होती है। जिससे पदार्थों एवं ऊर्जा का संचालन होता है।

पर्यावरण की विशेषताएं(characteristics of the environment )

 पर्यावरण की विशेषताएं - 

 (1) व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु प्रयत्न प्रभावित करने वाली संपूर्ण परिस्थितियों पर्यावरण में सम्मिलित करते हैं।

(2) वंशानुक्रम के अतिरिक्त सभी घटकों, कारको तथा परिस्थितियों को जो प्रभावित करते हैं,उन्हें पर्यावरण कहते हैं।

(3) जीव धारियों के विकास एवं उत्थान को प्रभावित करने वाली बाह्य शक्तियों को पर्यावरण कहा जाता है।    

(4) जीवन तथा व्यवहार की प्रकृति को प्रभावित करने वाली भौतिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, भावात्मक, आर्थिक तथा राजनीतिक शक्तियों को पर्यावरण का अंग माना जाता है।

(5) एक व्यक्ति विशिष्ट समय तथा स्थान पर जिन संपूर्ण परिस्थितियों से घिरा हुआ है, उसे पर्यावरण की संज्ञा दी जाती है।     

(6) इसके अन्तर्गत भौतिक में वायु,जल तथा भूमि और जैविक में पौधों, पशु-पक्षियों तथा मनुष्य को भी सम्मिलित करते हैं।

(7)मानव की व्यवस्था, प्रबन्ध तथा संस्थाओं के वातावरण तथा गतिविधियों एवं कार्यों को भी सम्मिलित करती है।

(8) पर्यावरण के अंतर्गत भौतिक ,रासायनिक, सामाजिक, आर्थिक,राजनीतिक, जैविक तथा सांस्कृतिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है।

                        पर्यावरण का महत्व(importance of environment )

पर्यावरण के महत्व - पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। इसकी अनुपस्थिति मैं पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। स्थानीय एवं विश्व स्तर पर तेजी से उभर रही अनेक पर्यावरणीय समस्याओं के कारण पर्यावरण अध्ययन का महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। पर्यावरणीय समस्याएं किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं है। किसी एक देश में उत्पन्न समस्या समस्त विश्व के लिए चिंता का विषय होती है। पर्यावरण तो समस्त पृथ्वी वासियों की सांझी विरासत है। अतः इसके संरक्षण हेतु विश्व समुदाय को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम के अंग के रूप में पर्यावरण के अध्ययन से विद्यार्थियों में पर्यावरण अवबोध व चेतना जागृत होती है।प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग के प्रति उनके दृष्टिकोण में अंतर आता है, पारिस्थितिक मैत्री- भाव जागता है तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति कर्तव्य-बोध होता है।  

पर्यावरण - परिभाषा, विशेषताएँ, महत्व, स्वरूप - letest education

          पर्यावरण की संरचना, विविध घटकों का ज्ञान तथा मानव द्वारा अपने विकास के लिए किए जा रहे कार्यों से हो रहे पर्यावरण विनाश की जानकारी विद्यार्थी को पर्यावरण के अध्ययन से मिलती है। अतः पर्यावरण की समुचित जानकारी होने पर ही व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है। इसीलिए पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा का समावेश विद्यार्थियों में पर्यावरणीय जागरूकता उत्पन्न कर पर्यावरण संरक्षण में महती भूमिका निभाएगा।

       इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पर्यावरण अनेक ऐसे तत्वों का युग्म है जो प्राकृतिक संतुलन की स्थिति में रहते हुए एक ऐसे वातावरण का सृजन करते हैं जिसमें सभी प्राकृतिक जीवधारी तथा मानव, जीव-जंतु, वनस्पति आदि का अभ्युदय एवं विकास क्रम  निर्वाधित रूप से अनवरत चलता रहता है।     


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पर्यावरण का क्या अर्थ है?

पर्यावरण'शब्द का निर्माण दो शब्दों परि+आवरण से हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ है—बाहरी आवरण, अर्थात हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक है वही वास्तविक अर्थों में 'पर्यावरण' कहलाता है।

पर्यावरण की परिभाषा क्या है?

विश्वकोश के अनुसार:"पर्यावरण के अंतर्गत उन सभी दिशाओं, संगठन एवं प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है,जो किसी जीव अथवा प्रजाति के उद्भव, विकास एवं मृत्यु को प्रभावित करती हैं।"

पर्यावरण का स्वरूप कैसा है?

पर्यावरण में भौतिक तथा नैतिक तत्व होते हैं जिन्हें तथा जैविक घटक भी कहते हैं।इस प्रकार पर्यावरण का विभाजन घटकों में किया जाता है वही उसका स्वरूप भी होता है‌— (1) भौतिक अथवा अजैविक पर्यावरण (2) जीव अथवा जैविक पर्यावरण।

पर्यावरण का महत्व?

पर्यावरण की संरचना, विविध घटकों का ज्ञान तथा मानव द्वारा अपने विकास के लिए किए जा रहे कार्यों से हो रहे पर्यावरण विनाश की जानकारी विद्यार्थी को पर्यावरण के अध्ययन से मिलती है। अतः पर्यावरण की समुचित जानकारी होने पर ही व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है। इसीलिए पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा का समावेश विद्यार्थियों में पर्यावरणीय जागरूकता उत्पन्न कर पर्यावरण संरक्षण में महती भूमिका निभाएगा।

पर्यावरण की विशेषताएं?

(1) व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु प्रयत्न प्रभावित करने वाली संपूर्ण परिस्थितियों पर्यावरण में सम्मिलित करते हैं। (2) वंशानुक्रम के अतिरिक्त सभी घटकों, कारको तथा परिस्थितियों को जो प्रभावित करते हैं,उन्हें पर्यावरण कहते हैं। (3) जीव धारियों के विकास एवं उत्थान को प्रभावित करने वाली बाह्य शक्तियों को पर्यावरण कहा जाता है।

पर्यावरण के पांच तत्व कौन से हैं?

पर्यावरण के पांच तत्व वायु ,अग्नि ,आकाश ,जल और धरती।

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