The Collapse of the ‘New World Order’: क्या इतिहास एक नए युग में प्रवेश कर रहा है?

The Collapse of the ‘New World Order’: क्या इतिहास एक नए युग में प्रवेश कर रहा है?

क्या यह पुराने विश्व व्यवस्था का अंत और नए युग की शुरुआत है?

प्रस्तावना

मानव सभ्यता का इतिहास हमेशा बदलावों और संघर्षों से भरा रहा है। जब भी कोई शक्ति अपने चरम पर पहुंचती है, तो उसके पतन की शुरुआत भी होती है। पिछले कुछ दशकों से "New World Order" (नया विश्व व्यवस्था) का विचार वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज पर हावी रहा। शीत युद्ध के बाद जब अमेरिका एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा, तो यह धारणा बनी कि दुनिया अब एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है। लेकिन आज जब हम रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका टकराव, मध्य पूर्व में अस्थिरता और आर्थिक मंदी जैसी परिस्थितियों को देखते हैं, तो सवाल उठता है – क्या "New World Order" वास्तव में ढह रहा है?

"New World Order" की अवधारणा

"New World Order" शब्द का उपयोग मुख्य रूप से शीत युद्ध के बाद शुरू हुआ। 1990 के दशक में जब सोवियत संघ का पतन हुआ और अमेरिका ने खुद को विश्व का नेता घोषित किया, तब माना गया कि अब पूरी दुनिया एक वैश्विक व्यवस्था के तहत चलेगी। इसमें लोकतंत्र, पूंजीवाद और वैश्वीकरण जैसे विचार केंद्र में थे।

  • अमेरिका और पश्चिमी देशों का प्रभाव सबसे ज्यादा था।
  • वैश्विक संस्थाएँ जैसे UN, IMF, World Bank, NATO इस व्यवस्था को मजबूत कर रही थीं।
  • तकनीकी और आर्थिक प्रगति ने इसे और गति दी।

लेकिन समय के साथ यह व्यवस्था दरकने लगी।

दरारें क्यों पड़ीं?

(1) बहु-ध्रुवीयता का उभरना – अब सिर्फ अमेरिका नहीं बल्कि चीन, रूस, भारत और यूरोप जैसे क्षेत्रीय शक्तियाँ भी अपनी भूमिका निभा रही हैं।

(2) आर्थिक असमानता – वैश्वीकरण से कुछ देशों को फायदा हुआ, लेकिन कई देशों में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई।

(3) सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्ष – पश्चिमी लोकतंत्र मॉडल हर जगह सफल नहीं हो पाया। एशिया और मध्य पूर्व में स्थानीय मॉडल और मूल्य ज्यादा प्रभावी रहे।

(4) प्रौद्योगिकी युद्ध – 5G, AI, साइबर सुरक्षा और डेटा पर नियंत्रण ने नए तरह की प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया।


रूस-यूक्रेन युद्ध और नई भू-राजनीति

2022 में रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध "New World Order" के पतन का बड़ा संकेत माना जा रहा है।

  • रूस ने पश्चिमी दबाव को न मानकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।
  • अमेरिका और यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन इसका असर उल्टा पड़ा और ऊर्जा संकट गहरा गया।
  • चीन और भारत जैसे देशों ने भी पश्चिम के दबाव को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।

इससे साफ है कि अब एकल शक्ति केंद्रित व्यवस्था संभव नहीं रही।

चीन का उभार और अमेरिका की चुनौती

चीन ने पिछले दो दशकों में अपनी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत को तेजी से बढ़ाया है।

  • Belt and Road Initiative (BRI) के जरिए उसने एशिया, अफ्रीका और यूरोप में अपना प्रभाव बढ़ाया।
  • तकनीकी क्षेत्र में Huawei, TikTok और अलीबाबा जैसी कंपनियों ने अमेरिका को चुनौती दी।
  • दक्षिण चीन सागर और ताइवान मुद्दा अमेरिका-चीन संबंधों को लगातार तनावपूर्ण बना रहा है।

चीन के उभार ने यह स्पष्ट कर दिया कि "New World Order" अब सिर्फ पश्चिम-प्रधान नहीं रहेगा

मध्य पूर्व और अस्थिरता

मध्य पूर्व हमेशा से विश्व राजनीति का केंद्र रहा है। यहाँ तेल, धर्म और भू-राजनीति की लड़ाई लगातार चलती रही है।

  • इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष आज भी हल नहीं हुआ।
  • ईरान और सऊदी अरब की प्रतिस्पर्धा क्षेत्र को और अस्थिर बनाती है।
  • अमेरिका का प्रभाव घट रहा है और रूस-चीन ने यहाँ अपनी पकड़ मजबूत की है।
यह सब मिलकर दिखाता है कि "New World Order" अब टिकाऊ नहीं रहा।

भारत की भूमिका

  • भारत 21वीं सदी में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में सामने आया है।
  • दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने भारत को मजबूत किया है।
  • G20, BRICS और अन्य मंचों पर भारत का प्रभाव बढ़ रहा है।

भारत न तो पूरी तरह अमेरिका के पक्ष में है, न ही रूस-चीन के – बल्कि वह Strategic Autonomy की नीति पर काम कर रहा है।

इससे संकेत मिलता है कि भविष्य का विश्व एक बहु-ध्रुवीय व्यवस्था (Multipolar World Order) की ओर बढ़ रहा है।


क्या इतिहास एक नए युग में प्रवेश कर रहा है?

इतिहास हमें सिखाता है कि कोई भी शक्ति हमेशा के लिए नहीं रहती।

  • रोमन साम्राज्य का पतन हुआ।
  • ब्रिटिश साम्राज्य ढह गया।
  • सोवियत संघ टूट गया।

अब "New World Order" भी उसी रास्ते पर है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया अराजक हो जाएगी। बल्कि हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं – जहाँ कोई एक देश पूरी दुनिया पर हावी नहीं होगा।

भविष्य की झलक

(1) बहु-ध्रुवीय व्यवस्था – कई शक्तियाँ (अमेरिका, चीन, भारत, रूस, यूरोप) मिलकर विश्व को दिशा देंगी।

(2) आर्थिक ब्लॉक्स – जैसे BRICS, EU, ASEAN – इनकी भूमिका और महत्वपूर्ण होगी।

(3) टेक्नोलॉजी आधारित प्रतिस्पर्धा – AI, Space, Data और Cybersecurity पर नियंत्रण भविष्य की राजनीति तय करेगा।

(4) स्थानीय मूल्य बनाम वैश्वीकरण – हर क्षेत्र अपनी संस्कृति और राजनीति को प्राथमिकता देगा।

निष्कर्ष

New World Order का पतन सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह मानव सभ्यता के इतिहास में एक नए युग का संकेत है। अब दुनिया एक बहु-ध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है, जहाँ शक्ति संतुलन, क्षेत्रीय गठबंधन और तकनीकी प्रतिस्पर्धा भविष्य को तय करेंगे।
संभव है कि आने वाले दशकों में इतिहासकार लिखें – 21वीं सदी की शुरुआत में दुनिया ने एक नए युग में प्रवेश किया, जहाँ कोई अकेला शासक नहीं था बल्कि कई ताकतों ने मिलकर भविष्य को आकार दिया।

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