मैकियावेली को अपने युग का शिशु क्यों कहा जाता है? 5 प्रमुख कारण

मैकियावेली को अपने युग का शिशु है 

आधुनिक युग का शिशु कहा जाता है ; डनिंग ने अपनी रचना में मैक्यावली को अपनी युग का शिशु बताया है। क्योंकि साधारणतया प्रत्येक दार्शनिक और राजनीतिकज्ञ के दर्शन और नीतियों पर उसके देशकाल की परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है। परंतु मैं क्या बोली पर अपनी समकालीन राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं नैतिक वातावरण की छाप सबसे अधिक स्पष्ट रूप से अंकित है। इसलिए डनिंग ने विशेष रूप ने उसे अपने युग का शिशु कहा है। 

अतः निकोलो मैकियावेली पर जिन सामाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक परिस्थितियों का प्रभाव पड़ा है और जिस प्रकार के कारण वह अपने युग का शिशु कहलाता है वह कुछ इस प्रकार है— 

(1) राजतंत्र की पुनर्स्थापना के कारण 

निकोलो मैकियावेली ने अपने समय में पश्चिमी यूरोप में राजतंत्र की सफलता को देखते हुए स्पेन, फ्रांस और इंग्लैंड में राजतंत्र के नेतृत्व में राष्ट्र की एकता और विकास पर ध्यान देते हुए यह समझाया कि यह युग सबल राजतंत्र का युग था। इसी कारण से उन्होंने इटली के लिए ऐसे शासन की कल्पना की जिसमें इटली की संपूर्ण राजनीतिक शक्ति का केंद्रीकरण हो और जो इटली में एकता स्थापित कर शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना कर सके।

(2)  इटली का राजनीतिक विभाजन 

 निकोलो मैकियावेली के जीवन काल में राष्ट्रीय संगठन पूर्ण रूप से नष्ट हो चुका था और वह अनेक स्वतंत्र नगर राज्यों और छोटे-छोटे खण्डों में बढ़ गया था। इन राज्यों में जो पांच विशेष रूप से शक्तिशाली थे— निपल्स का राज्य, मिलन का राज्य, रोमन चर्च का क्षेत्र, वेनिस गणराज्य तथा फ्लोरेंस गणराज्य। यह पांचो राज्य भी आपस में टकराव की स्थिति में थे। और यही नहीं, नैतिक दृष्टि से भी इटली का पतन हो चुका था कि वहां के लोग किराए के सैनिक के रूप में लड़ने जाते थे, जो अपनी धन की लालच में किसी भी तरह बिक जाते थे।

(3) राष्ट्रीयता की भावना का प्रबल होना 

 निकोलो मैकियावेली के समय में विश्व की सभी देश राष्ट्रीय राज्य को अपने जा रहे थे और उसके पीछे निरंकुश शासक का महत्वपूर्ण हाथ था। निकोलो मैकियावेली ने पाया कि इंग्लैंड, स्पेन और फ्रांस के संगठन एवं संपन्नता के पीछे भी राष्ट्रीयता की भावना की प्रबलता ही है। इनसे प्रभावित होकर ही निकोलो मैकियावेली इटली को एक राष्ट्र के रूप में देखना चाहता था। वह अपनी इस कार्य के लिए पांचों राज्यों जो कि यह है —निपल्स, मिलन, वेनिस, फ्लोरेंस तथा पोप के प्रदेश को मिलाकर इटली का एकीकरण करना चाहता था। स्पष्ट है की राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर ही निकोलो मैकियावेली निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करता है।

(4) व्यवहारवाद तथा व्यक्तिवाद का समर्थक 

इस युग की एक अन्य विशेषता व्यवहारिकता पर देना था। और निकोलो मैकियावेली ने भी व्यावहारिक राजनीति पर बोल दिया। उसके अनुसार राजा की नैतिकता व्यक्ति की नैतिकता से बिल्कुल भिन्न है। निकोलो मैकियावेली नई स्पष्ट कहां है कि यदि साध्य अच्छा हो तो राजा को साधनों की चिंता नहीं करनी चाहिए। 

(5) पुनर्जागरण के कारण मैकियावेली अपने युग का शिशु 

निकोलो मैकियावेली के समय में पूरे यूरोप में एक निर्णायक दौर से गुजर रहा था, जिसने निकोलो मैकियावेली के विचारों पर भी प्रभाव डाला। पुनर्जागरण संबंधी यह धारणा निकोलो मैकियावेली में घर कर गई थी ‘मानव स्वयं ही अपने जीवन का निर्माता है’ यह विश्व विकासशील है और इसमें उन्हें का अस्तित्व रहता है, जो अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हैं।  

निकोलो मैकियावेली ने चर्च और धर्म के प्रभाव पर एक कड़ा आलोचनात्मक प्रहार किया, जिसने समय के साथ समाज को अधार्मिक और बुराईयों में डूबा दिखाया। मैकियावेली ने कहा कि “हम इटालियन रूम के चर्च और पुजारी के कारण ही और अधार्मिक और बुरे हो गए हैं। चर्च के हम एक और बात के ऋणी है और यही बात हमारे लिए विध्वंस का कारण है कि चाचा ने हमारे देश को विभाजित कर रखा है और वह अब भी ऐसा कर रहा है।”  निकोलो मैकियावेली नई धार्मिक पाखंडों के विरुद्ध जेहाद छेड़ा था।

निष्कर्ष 

इन सभी विवेचनाओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि निकोलो मैकियावेली पर तत्कालीन परिस्थितियों अथवा घटनाओं का व्यापक प्रभाव पड़ता था और वह इन परिस्थितियों का अध्ययन करते हुए उनका निदान सुझाता है। अतः इसलिए, यह कहा जा सकता है कि डनिंग के इस बयान में पूरी तरह से सत्यता है कि “यह प्रतिभाशाली फ्लोरेंसवासी वास्तविक अर्थ में अपने क्षमताओं का उद्भव था।” 

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