1818 से 1845 तक जर्मनी का एकीकरण क्यों नहीं हुआ?

1818 से 1845 तक जर्मनी का एकीकरण

1818 से 1845 तक जर्मनी का एकीकरण क्यों नहीं हुआ? जर्मनी में 38 राज्य थे, जिम सबसे बड़ा एवं शक्ति संपन्न राज्य प्रशा का था। नेपोलियन ने प्रशा को 1826 में जेना के युद्ध में पराजित किया। प्रोफेसर हेजन के मत के अनुसार, “प्रशा की सेना नाम की चीज का अस्तित्व ही बाकी न रहा।” प्रशा को नेपोलियन से अपमानजनक संधि करनी पड़ी। हेजन के अनुसार, “फ्रेडरिक महान की वीडियो के बाद इतनी जल्दी सेना की पराजय और टिल्सिट का अपमान प्रशा को दुगुना कड़वा जान पड़ा।”

1818 से 1845 तक जर्मनी का एकीकरण क्यों नहीं हुआ?

इस अपमान में ही प्रसा का उत्थान निहित था। फ्रेडरिक विलियम तृतीय ने 1807 से 1813 तक अनेक सुधार किया जिसके फल स्वरुप प्रसा का पुनर्जन्म हुआ। 1815 में वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन हार गया। उसके हारने के बाद नेपोलियन द्वारा बनाया गया जर्मन संघ भी टूट गया।

जर्मन संघ 1815 से 1848 तक

नेपोलियन युद्धों में जर्मनी में जो राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई थी, उसे वियना की प्रतिक्रियावादी शक्तियों ने कुचल दिया। जर्मनी का एकीकरण करने के बजाय हुए हैं कांग्रेस ने जर्मन राज्यों का एक ढीला डाला संघ बनाया और उसका अध्यक्ष आस्ट्रिया का सम्राट बनाया गया। इस प्रकार जर्मनी पूर्व के समान संगठित हो गया। मेटरनिख जो ऑस्ट्रिया का प्रधानमंत्री था, स्वतंत्रता, उदारता तथा राष्ट्रीयता का घोर शत्रु था। उसने जर्मनी ही क्या यूरोप में इन विचारों को कुचल दिया। प्रसा का राजा भी मेटरनिख के प्रभाव से प्रतिक्रियावादी बन गया।‌‌ इतना होने पर भी जर्मनी में दो घटनाएं ऐसी घटी, जिससे जर्मनी के राज्यों में एकता की भावना प्रबल हुई। 

मैटरनिख कहां करता था कि “जब फ्रांस को जुकाम होता था तो सारा यूरोप सीखने लगता था।” यद्यपि यह एक वयंग था पर यह सत्य था। फ्रांस की 1848 ई की क्रांति ने समस्त यूरोप को प्रभावित किया। अतः जर्मनी में भी क्रांति भड़क उठी। बेडन में विद्रोह हो गया। लोगों ने राजनीतिक अधिकारों की मांग की। यह आंदोलन जर्मनी की सभी रियासतों में फैल गया। इतना ही नहीं वीयना में भी विद्रोह हो गया। प्रसा के राजा विलियम चतुर्थ ने प्रसा को जर्मनी में मिलना स्वीकार कर लिया। अतः जर्मनी में उत्साह ठंडा पड़ गया। उदारवादियों ने विद्रोह किया तो प्रसा ने उसे कुचल दिया। पर जब उसने देखा कि ऑस्ट्रिया में विद्रोह सफल हो गया है तो प्रसा के राजा ने ऑस्ट्रिया की आधिपत्य को उखाड़ फेंका और एक संविधान अपने लोगों को प्रदान किया। उसने समझते जर्मनी की एक संयुक्त संसद का भी झुकाव दिया जिसमें ऑस्ट्रिया का भी बहिष्कार होगा। यद्यपि मेटरनिख क्रांति के भाई से 1848 ईस्वी में आश्रय छोड़कर भाग गया था पर ऑस्ट्रिया के सम्राट ने पुन हो शक्ति संग्रह कर प्रसा के राजा को संसद भंग करके पुरानी 1815 वाली व्यवस्था को जारी करने पर विवश किया। इस प्रकार जर्मनी का एकीकरण होते-होते रह गया।

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