अवलोकन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं तथा प्रकार

अवलोकन पद्धति 

अवलोकन का तात्पर्य ; वैज्ञानिक अध्ययन में तथ्यों के संकलन के लिए अपनाई जाने वाली विभिन्न पद्धतियों में अवलोकन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस सामाजिक तथा प्राकृतिक दोनों प्रकार के विज्ञानों में समान रूप से अपनाया जाता है। इसलिए यह एक सार्वभौम पद्धति मानी जाती है। वास्तव में, प्रत्येक विज्ञान का प्रारंभ अवलोकन द्वारा होता है तथा अंत में सत्यापन का परीक्षण भी अवलोकन द्वारा ही होता है। अवलोकन को एक प्राचीन तथा अति आधुनिक अनुसंधान पद्धति कहा गया है। अवलोकन में अधिकांशतः ज्ञानेंद्रिय तथा मुख्य रूप से आंखों द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है। यह अत्यंत विश्वसनीय पद्धति मानी जाती है। इसलिए इसका प्रयोग सर्वाधिक होता है।

अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएं

अवलोकन का अर्थ ; अवलोकन का शाब्दिक अर्थ ‘देखना’ है। इस ‘निरीक्षण’ भी कहते हैं। अवलोकन निरीक्षण अथवा प्रशिक्षण का सभी प्रकार के विज्ञानों में महत्वपूर्ण स्थान है; क्योंकि हम सभी प्रकार की समस्याओं एवं घटनाओं को आंखों से देखकर पहचान सकते हैं। इस प्रकार अवलोकन एक ऐसी प्रणाली है जो किसी अध्ययन विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करती है। इसमें अनुसंधानकर्ता विषय से संबंधित तथ्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्रित करता है।

अवलोकन की परिभाषा

(1) ऑक्सफोर्ड कॉन्साइज डिशनरी के अनुसार, “अवलोकन का अर्थ है घटनाओं को, जैसे कि वह प्रकृति में होती हैं, कार्य तथा कारण अथवा परस्पर संबंध की दृष्टि से यथा तथ्य देखना और नोट करना।”

(2) यंग के अनुसार, “अवलोकन आंखों के द्वारा किया गया विचार पूर्ण अध्ययन है, जिसका प्रयोग सामूहिक व्यवहार तथा जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ संपूर्णता का निर्माण करने वाली पृथक पृथक इकाइयों का सूचना निरीक्षण करने की एक पद्धति के रूप में किया जा सकता है।”

(3) मोजर के अनुसार, “अवलोकन को सुंदर ढंग से वैज्ञानिक जांच पड़ताल की पद्धति कहा जा सकता है। इसमें विशेष ध्यान दिया जाता है कि अध्ययनकर्ता अपनी अद्धभुत इंद्रियों का प्रयोग करके तथ्यों को संग्रहित करे। ठोस अध्ययन में, वाणी और कानों के अलावा, आंखों का प्रयोग भी होता है।”

अवलोकन की प्रमुख विशेषताएं

(1) मूलभूत वैज्ञानिक पद्धति

अवलोकन को एक मूलभूत वैज्ञानिक पद्धति माना गया है क्योंकि यह प्रत्येक विषय (चाहे वह प्राकृतिक विज्ञान है अथवा सामाजिक विज्ञान में ज्ञान) में सामान्य रूप से प्रयोग की जाती है। इस प्रविधि के द्वारा विश्वसनीय सूचनाएं एकत्रित की जा सकती है।

(2) मानव-इंद्रियों (आंखों का प्रयोग) 

अवलोकन में मानव इंद्रियों का विशेष रूप से आंखों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे ‘आंखों द्वारा देखने की एक कला‘ कहा गया है, जिससे अध्ययन वस्तु से संबंधित प्राथमिक सामग्री का संचय किया जाता है। 

(3) अध्ययन वस्तु का प्रत्यक्ष निरीक्षण 

अवलोकन एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसमें अध्ययन वस्तु का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया जा सकता है। इस पद्धति में, अनुसंधानकर्ता अपनी सभी इंद्रियों का उपयोग करके अध्ययन विषय से संबंधित तथ्यों की सीधी अथवा प्रत्यक्ष खोज करता है।

(4) गहन अध्ययन 

अवलोकन केवल उद्देश्य पूर्ण अध्ययन करने में ही सहायक नहीं है, बल्कि गहन अध्ययन करने में भी सहायक है। यह सामाजिक विज्ञान और मानव विज्ञान जैसे विषयों में एकमात्र प्रविधि है, जो सूचनाओं को गहन रूप से संकलित करने में सहायक है जब भी विश्वास नहीं हो। समाजशास्त्र में भी इसका प्रयोग एक पूर्ण या पूरक प्रविधि के रूप में बढ़ रहा है।

(5) उद्देश्य पूर्ण अध्ययन 

अवलोकन पद्धति इसलिए भी वैज्ञानिक पद्धति मानी जाती है क्योंकि यह उद्देश्य पूर्ण अध्ययनों में सहायक है। अवलोकन पद्धति द्वारा अनुसंधानकर्ता केवल उनकी घटनाओं के अवलोकन के लिए अपनी सभी इंद्रियों का प्रयोग करता है, जो अध्ययन की समस्या के अनुकूल होती हैं। 

(6) विश्वसनीयता 

अवलोकन द्वारा एकत्रित सूचनाएं अधिक विश्वसनीय होती हैं। इसलिए कि अनुसंधानकर्ता स्वयं देखकर अध्ययन करता है, इसलिए वस्तुनिष्ठ एवं विश्वसनीय सूचनाएं ही संकलित होती हैं। यहाँ, अनुसंधान संबंधित घटना या समस्या का अध्ययन उसी रूप में किया जाता है जिस रूप में वह वास्तविकता में होती है।

(7) सामूहिक व्यवहार का अध्ययन 

अवलोकन सामूहिक व्यवहार का अध्ययन करने में भी सहायक है। इसमें अवलोकन करते समय सरलता से अवलोकित होता है कि समूह के सदस्यों का व्यवहार कैसा है, और इससे समूह द्वारा संचालित नियमों, श्रेणियों और संस्कृतियों का अध्ययन किया जा सकता है, बिना अपना उद्देश्य बताए। 

अवलोकन के प्रमुख प्रकार

(1) अनियंत्रित अथवा साधारण अवलोकन 

जब अनुसंधानकर्ता किन्ही प्राकृतिक अवस्थाओं का अध्ययन करने हेतु कुछ क्रियो का निरीक्षण करता है तो वह अपने निरीक्षण कार्य में पूर्ण स्वतंत्रता होता है। उसके इस कार्य में किसी बाह्य शक्तियां आंतरिक भावना का कोई प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता। इस प्रकार की स्वतंत्रता निरीक्षण विधि में अनुसंधानकर्ता का आंतरिक या बाह्य किसी भी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं होता, इसलिए इस अवलोकन को समाजशास्त्रियों ने अनियंत्रित अवलोकन की संज्ञा दी है। इस प्रकार के अवलोकन से अनुसंधानकर्ता अध्ययन वस्तु से संबंधित संपूर्ण ज्ञान को प्राप्त कर लेता है।

(2) नियंत्रित अथवा व्यवस्थित अवलोकन 

इस प्रकार के अवलोकन में अनुसंधानकर्ता पर अनेक नियंत्रण लगे रहते हैं। यह नियंत्रण अनेक प्रविधियां के रूप में लगा होता है। दूसरे शब्दों में, नियंत्रित अवलोकन के अंतर्गत अनुसंधानकर्ता को अवलोकन कार्यों में अनेक सीमाओं का अध्ययन करना पड़ता है। यह सीमाएं सामाजिक घटनाओं के लिए और साथ ही साथ अनुसंधान करने के लिए लगाई जाती हैं। इसलिए कि सामाजिक घटनाओं में विभिन्न प्राकृतिक तथा मानवीय परिवर्तन होते रहते हैं, जिन्हें नियंत्रित करना कठिन होता है। इस कारण अधिकांश अनुसंधानकर्ता को अपने अध्ययन के परिणामों को समझने और विश्लेषण करने के लिए स्वयं पर ही नियंत्रण रखना पड़ता है।

(3) सामूहिक अवलोकन 

इस प्रकार के अवलोकन में एक ही समस्या का अवलोकन कई अनुसंधान करता एक साथ सामूहिक रूप से करते हैं। यह अनुसंधानकर्ता सामाजिक घटना के विभिन्न पक्षों के विशेषज्ञ होते हैं। अवलोकन करने के उपरांत यह सब अनुसंधानकर्ता विचार विमर्श करके समस्या से संबंधित उपकल्पना का निर्माण करते हैं। ऐसे अवलोकन में, व्यक्तिगत पक्षपात का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाता है और किसी भी पक्ष को छूटने की संभावना समाप्त हो जाती है।

निष्कर्ष 

उपर्युक्त विवेचन सी यह स्पष्ट हो जाता है कि अवलोकन एक ऐसी प्रविधि है, जिसमें अनुसंधान करता है अपनी आंखों से देखकर किसी समस्या का विचार पूर्वक अध्ययन करता है। इस प्रकार का अवलोकन अनियंत्रित, नियंत्रित तथा सामूहिक हो सकता है। जब अनुसंधान करता समस्या से संबंधित समुदाय का सदस्य बनकर समुदाय के कार्य में सक्रिय भाग लेता है तो वह सहभागी अवलोकन कहलाता है और जब वह समुदाय के कार्य में भागना लेकर दूर से ही समुदाय का अध्ययन करता है तो वह असहभागीय अवलोकन कहलाता है। कभी-कभी अनुसंधानकर्ता कुछ कार्यों में भाग लेकर और कुछ दूर से ही देखकर समस्या का अध्ययन करता है। इसी प्रकार के अवलोकन समुदाय और उसकी समस्याओं का पूर्ण ज्ञान प्रदान करने में सहायक होते हैं, इसलिए कहा गया है, “जो कुछ भी किसी समस्या का हमें ज्ञान है, वह अवलोकन का ही प्रतिफल है।”

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