आर्थिक विकास का अर्थ एवं परिभाषा
आर्थिक विकास से आशय ऐसी बहु दिशाओं वाली प्रक्रिया से लगाया जाता है जिसमें सम्पूर्ण सामाजिक एवं आर्थिक विधियों के संगठन को शामिल किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्रिया है, जो लगातार किसी देश में चलती रहती है। जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास की दर धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। आर्थिक विकास में मुख्य रूप से पाँच घटक पाये जाते हैं (1) उद्योग, (2) खनिज, (3) यातायात, (4) कृषि, (5) व्यापार। यदि इन आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि हो रही है तो यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास में वृद्धि हो रही है और यदि आर्थिक क्रियाओं में कमी हो रही है तो यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास में कमी हो रही है। इस प्रकार संक्षेप में कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास शुद्ध राष्ट्रीय आय में दीर्घकालिक वृद्धि को सूचित करने वाली प्रक्रिया है।
आर्थिक विकास की परिभाषा के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों में मतभेद हैं। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने आर्थिक विकास का अर्थ भिन्न-भिन्न बताया है।
आर्थिक विकास की विशेषतायें
(1) निरन्तर प्रक्रिया
आर्थिक विकास की पहली विशेषता यह है कि इसमें निरन्तर प्रक्रिया चलती रहती है जिसके कारण साधनों की पूर्ति एवं वस्तु सम्बन्धी माँग में परिवर्तन होता रहता है। साधनों की पूर्ति में परिवर्तन से आशय जनसंख्या में परिवर्तन, उत्पादन साधन में परिवर्तन, पूँजी में परिवर्तन, उत्पादन तकनीक में परिवर्तन, कुशलता में परिवर्तन, अन्य संस्थागत परिवर्तनों से लगाया जाता है। इसी प्रकार वस्तु सम्बन्धी माँग में परिवर्तन से आशय जनता की आय में परिवर्तन, वितरण के स्वरूप में परिवर्तन, 'उपभोक्ताओं की रुचि में परिवर्तन, जनसंख्या के आकार में परिवर्तन, संगठनात्मक और संस्थागत परिवर्तन से लगाया जाता है। किसी भी देश की आर्थिक विकास को प्रक्रिया ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती हैं, त्यों-त्यों साधनों की पूर्ति एवं वस्तु सम्बन्धी माँग में परिवर्तन होता जाता है।
(2) वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि
आर्थिक विकास से वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। वास्तविक राष्ट्रीय आय से आशय किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष की अवधि के भीतर उत्पादित अन्तिम पदार्थों और सेवाओं के बाजार मूल्य के योग में से ह्रास की राशि निकाल कर शेष शुद्ध राशि से लगाया जाता है। इसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन भी कहते हैं। जब शुद्ध राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तो कहा जाता है कि आर्थिक विकास हो रहा है। जब कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या का भाग दे दिया जाता है तो इस प्रकार आए भागफल को प्रति व्यक्ति औसत आय कहते हैं। आर्थिक विकास की दशा में प्रति व्यक्ति औसत आय वृद्धि होती है।
(3) दीर्घकालीन वृद्धि
दीर्घकालीन वृद्धि से आशय लगातार या निरन्तर वृद्धि से लगाया जाता है। यदि राष्ट्रीय आय में निरन्तर वृद्धि होती है तो यह कहा जायेगा कि आर्थिक विकास हो रहा है। यदि किसी विशेष घटना के कारण कुछ समय के लिए राष्ट्रीय में वृद्धि हो जाती है तो इसे आर्थिक विकास नहीं कहा जायेगा। इस प्रकार आर्थिक विकास में वृद्धि निरन्तर या दीर्घकालीन होनी चाहिए न कि आकस्मिक।
(4) उत्पादन साधनों का विदोहन
आर्थिक विकास की दशा में उत्पादन साधनों को अच्छी प्रकार से प्रयोग में लगाया जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जब उत्पादन के साधनों का विदोहन होता है तभी आर्थिक विकास होता है।
(5) जीवन-स्तर और सामान्य कल्याण में वृद्धि
आर्थिक विकास की दशा में जनता के जीवन स्तर में सुधार होता है तथा सरकार कल्याणकारी कार्यों पर अधिक व्यय करती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास के अन्तर्गत केवल राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में ही वृद्धि नहीं होती है, बल्कि जन सामान्य के जीवन स्तर पर सामान्य कल्याण में भी वृद्धि होती है। यदि केवल एक ही वर्ग को लाभ होता है तो उसे आर्थिक विकास नहीं कहा जा सकता है। आर्थिक विकास तभी माना जाता है जब सभी वर्गों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होता है।
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